खिले गुलशन-ए-वफा में गुल-ए-नामुराद ऐसे…
ये बहार का जमाना ये हसीं गुलों के साये
मुझे डर है बागबां को कहीं नींद आ न जाए
मुझे डर है बागबां को कहीं नींद आ न जाए
खिले गुलशन-ए-वफा में गुल-ए-नामुराद ऐसे
ना बहार ही ने पूछा ना खिजां के काम आए
ना बहार ही ने पूछा ना खिजां के काम आए
तेरे वादे से कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मेरा दिल ही टूट जाए
कोई ऐसा कर बहाना मेरा दिल ही टूट जाए
मैं चला शराबखाने जहाँ कोई गम नहीं है
जिसे देखनी है जन्नत मेरे साथ-साथ आए
जिसे देखनी है जन्नत मेरे साथ-साथ आए
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