Monday, 18 May 2015

पद्माकर का वसन्त वर्णन

पद्माकर का वसन्त वर्णन (Poet Padmakar)



कूलन में केलिन में कछारन में कुन्जन में।
क्यारिन में कलित कलीन किलकंत है॥
कहै पद्माकर परागन में पानहूँ में।
पानन में पीक में पलासन पगंत है॥
द्वार में दिसान में दुनी में देस देसन में।
देखो दीप दीपन में दीपत दिगंत है॥
वीथिन में ब्रज में नवेलिन में वेलिन में।
बतन में बागन में बगरो वसन्त है ||

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