Monday, 18 May 2015

जसोदा हरि पालने झुलावै

जसोदा हरि पालने झुलावै (Jasoda Hari Palane…)


जसोदा हरि पालने झुलावै।
हलरावै, दुलराइ, मल्हावै, जोइ-सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल को आउ निंदरिया, काहै न आनि सुवावै।
तू काहे न बेगहिं सों आवै, तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँद लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै रहि-रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहि अन्तर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।
जो सुख सूर अमर मुनि दुरलभ, सो नंद-भामिनी पावै॥

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